हसीं सफर की ख्वाहिश नहीं मुझे मुझे तो बस मुस्कराती सहर दे दे जिंदगी की भागादौड़ी में अपनो से अपनी बातचीत हो ऐसा पहर दे दे थका हारा घर को जाऊं जो मैं गांव की याद दिलाए वो शहर दे दे मिलावटी दोस्ती से दूर रखना अपनी मुझे तू चाहे अपनी दुश्मनी का जहर दे दे कायनात लगी है पूरा करने में 'रचना' वो मुझतक पहुंचें तबतक सबर दे दे ©RT #सबर #सहर #जहर #darkness