चलो जला दो फिर से, या दफ़ना दो मुझे किसने फिर कुचला? चेहरा तो दिखा दो मुझे बहुत बार मरा हूँ, आजतक क़ातिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला सब वक़्त गंवा दिया बस मुझे परखने में दोस्त बहुत हैं मेरे इस शहरी महक़मे में बहुत ज़ख़्म मिले, पर कोई बिस्मिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला आँख मूँद कर, अंधेरे में ख़ंजर चलाते हैं अँसूँ देख ना लूँ उनके, वो मुस्कुराते हैं सब क़ाज़ी मिले मुझे, मुझसा जाहिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला "वत्स" ख़ुद अपना क़ातिल चुनना चाहता है ये मुंसिफ़ मेरे लब से, तेरा नाम सुनना चाहता है मौत का इल्ज़ाम दूँ, इसके भी क़ाबिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला #मरणोपरांत #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #hindipoem #urdupoetry चलो जला दो फिर से, या दफ़ना दो मुझे किसने फिर कुचला? चेहरा तो दिखा दो मुझे बहुत बार मरा हूँ, आजतक क़ातिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला सब वक़्त गंवा दिया बस मुझे परखने में