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आईनों में निहारता हूँ ख़ुद को कभी जब, धुँधलापन छिप

 आईनों में निहारता हूँ ख़ुद को कभी जब,
धुँधलापन छिपा देता है चमक चेहरे की..!
मिली है तरक्की के नाम पे मुसीबतें,
जरुरत थी मुझको एक साथी एक सेहरे की..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #mohabbat #aayine