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मासूम नेताओं की देहली में यह घटना हुयी है, संवेदन

मासूम  नेताओं की देहली में यह घटना हुयी है,
संवेदनाओं की आहुति में वेदना हुयी है।
न शर्म रही न हया का अब कानून रहा,
देहली का संविधान लिफाफों का मजबून रहा।
निर्भया से हया न आई,
बात आई मगर दया न आई।
बहुत कुछ सह गयी वेदना,
रात आई मगर सुबह न आई।
और कितने जख्म देगा माफियाराज,
वो नहीं हारी हारा तो समाज।
बाबा #कविता
मासूम  नेताओं की देहली में यह घटना हुयी है,
संवेदनाओं की आहुति में वेदना हुयी है।
न शर्म रही न हया का अब कानून रहा,
देहली का संविधान लिफाफों का मजबून रहा।
निर्भया से हया न आई,
बात आई मगर दया न आई।
बहुत कुछ सह गयी वेदना,
रात आई मगर सुबह न आई।
और कितने जख्म देगा माफियाराज,
वो नहीं हारी हारा तो समाज।
बाबा #कविता
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BABA

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कविता