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दस्तूर ज़िन्दगी का कहाँ कभी किसी को समझ में आया है

दस्तूर ज़िन्दगी का कहाँ कभी किसी को समझ में आया है
कभी मीठा, कभी खट्टा, कभी धुप कभी छाया है

जो चाहा वो अक्सर तक़दीर से मिला नहीं
और हर नागँवार किस्से को खुदा ने अपनी मर्ज़ी बताया है

कभी कहतें है प्यार मोहब्बत से घर नहीं चलते
फिर हर ख़ुशी की चाहत को कहतें हैं, सब मोह माया है

कुछ ऐसे मतलबी हो गए हैं जज़्बात सबके
इज़्ज़त नहीं, लोग पूछते है पैसा कितना कमाया है

वो ज़ुल्म करते रहे, और तुम्हारी उफ़ तक नहीं
वो मुस्कुरा कर बोली सब संस्कारो की माया हैं

बेहिसाब भीड़ में जहां अपने भी साथ छोड़ देते हैं
बस  ये क़लम ही तो है, जिसने मुझे मैं से मिलवाया है Zindagi #zindagi #Nojoto #Kalakaksh #randomthought #writerinme #Dilse #Nojotohindi #Kavishala
दस्तूर ज़िन्दगी का कहाँ कभी किसी को समझ में आया है
कभी मीठा, कभी खट्टा, कभी धुप कभी छाया है

जो चाहा वो अक्सर तक़दीर से मिला नहीं
और हर नागँवार किस्से को खुदा ने अपनी मर्ज़ी बताया है

कभी कहतें है प्यार मोहब्बत से घर नहीं चलते
फिर हर ख़ुशी की चाहत को कहतें हैं, सब मोह माया है

कुछ ऐसे मतलबी हो गए हैं जज़्बात सबके
इज़्ज़त नहीं, लोग पूछते है पैसा कितना कमाया है

वो ज़ुल्म करते रहे, और तुम्हारी उफ़ तक नहीं
वो मुस्कुरा कर बोली सब संस्कारो की माया हैं

बेहिसाब भीड़ में जहां अपने भी साथ छोड़ देते हैं
बस  ये क़लम ही तो है, जिसने मुझे मैं से मिलवाया है Zindagi #zindagi #Nojoto #Kalakaksh #randomthought #writerinme #Dilse #Nojotohindi #Kavishala