आँखों में हजारों शिकवे-गिले हैं , मगर होंठों पे हैं खामोशियाँ । जितने फासले हैं आस्माँ से जमीं के , बढ़ गई हमदोनों के दरमियान उतनी ही दूरियाँ । थमने लगा अब चाहतों का वो सिलसिला, दिलों में बसने लगी हैं मायूसियाँ । ज़िन्दगी शायद इसी का नाम है, दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाईयाँ । शुक्रगुज़ार हूँ आईना तेरा इक तू ही तो है, जिसने समेट रखी हैं मेरी परछाईयाँ । #खामोशियाँ