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आँखों में हजारों शिकवे-गिले हैं , मगर होंठों पे है

आँखों में हजारों शिकवे-गिले हैं ,
मगर होंठों पे हैं खामोशियाँ ।

 जितने फासले हैं आस्माँ से जमीं के ,
बढ़ गई हमदोनों के दरमियान उतनी ही दूरियाँ ।

थमने लगा अब चाहतों का वो सिलसिला,
दिलों में बसने लगी हैं मायूसियाँ । 

ज़िन्दगी शायद इसी का नाम है,
दूरियाँ मजबूरियाँ  तन्हाईयाँ ।

शुक्रगुज़ार हूँ आईना तेरा इक तू ही तो है,
जिसने समेट रखी हैं मेरी परछाईयाँ । #खामोशियाँ
आँखों में हजारों शिकवे-गिले हैं ,
मगर होंठों पे हैं खामोशियाँ ।

 जितने फासले हैं आस्माँ से जमीं के ,
बढ़ गई हमदोनों के दरमियान उतनी ही दूरियाँ ।

थमने लगा अब चाहतों का वो सिलसिला,
दिलों में बसने लगी हैं मायूसियाँ । 

ज़िन्दगी शायद इसी का नाम है,
दूरियाँ मजबूरियाँ  तन्हाईयाँ ।

शुक्रगुज़ार हूँ आईना तेरा इक तू ही तो है,
जिसने समेट रखी हैं मेरी परछाईयाँ । #खामोशियाँ
bhushan3211

bhushan

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