मेरे सनम को नेह मे डूबा हुआ इश्क का पैगाम भेजा है मय की प्याली सा बहकता हुआ सलाम भेजा है, भड़कती हुई तिश्नगी मे लिपटा हुआ बेकरारी तोहफा भेजा है, मोहब्बत के गुलशन मे नम इश्किया मिट्टी पर उनके नाम का नायाब गुल रोपा है, कहकशाँ मे वह दरख्शंदा सितारे सा मेरे नूर मे समाया है, महबूब की नेह-ए-बंदगी मे सूफियाना सा हश्र किया है, हमसफ़र की ज़िन्दगी संवारने का क्या इनाम मिला है तुझे 'नेहा', कहते है वो खुद को नाचिज़ और मुझे खुदा के फ़रिश्ते खिताब बक्शा है। #प्रतिरूप #कोराकाग़ज़प्रतिरूप #प्रतिरूपग़ज़ल #kkप्रतिरूप #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़