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तुम मुझे ढूंढो ,, तो ढूंढ लो ,, मगर अब में वहा

 तुम मुझे ढूंढो ,, 
तो ढूंढ लो ,,

मगर अब में 
वहाँ  नहीं रहता ,,

 सुकूनियत के लिए ,,
 बहुत सफर किये है ,, 

,रागिब ,

 इसलिए में कोई अब 
एक मुस्तक़िल पता नहीं रखता .....

©Mohmmad Ragib safi khan
  #Ragibkhan