अपना ही रास्ता था , अपनी ही घुन , हर रोज ही तो गुजराती थी , कभी उस पगडंडी को देखा नहीं , अाज कैसे दिख गयी पतली सी ,फूलों से लबालब , बाहें फैलाएे ,मुझे बुला रही हो जैसे , मैं मुड़ी हीथी, उस पगड़डी पर , पांव धरा ही था ,कि किसी अजनबी ने टोक दिया ,तुम गलत रास्ता ले रहीं हो , वो तो dead end है , मैं झट सम्भली अौर अपने रास्ते हो ली ।।।।।। #DeadEnd #yqdidi