रिश्वत से रोज़गार हो जाता है ज्ञान-भंडार पे अत्याचार जब भी मिलता है रिश्वत से रोज़गार पर पैसा पाप छिपा कर ही रहता है और नहीं मिलता है इस प्रकार प्यार मेरी कविता केवल सपने में आती है, जो है काल्पनिक,संसार में निराकार, जिसे देता हूँ लिख-लिखकर आकार। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #रिश्वत_से_रोज़गार