मुलाक़ात अपनी ही नजरों में गिर गया हूँ मैं आज कातिलों के शहर में बस गया हूँ मैं आज न जिंदगी का ठिकाना न मौत की खबर है कब क्या हो जाये इसका कोई नहीं ठिकाना रश्मों की तो बात छोड़ो मुलाक़ात भी नहीं होती यहाँ पराये नहीं हैं कोई मगर अनजान हैं सब #मुलाक़ात # #महलों का शहर # #yqmulakat #yqjindgi #