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मन पखेरु उड़ चला फिर नेह की नजरों से मुझको ऐ

मन पखेरु उड़ चला फिर
नेह की 
  नजरों से मुझको 
   ऐसे देखा आपने।
मन-पखेरु उड़ चला फिर 
    आसमां को नापने।

कामना का बांध टूटा- 
   ग्रंथियां भी 
     खुल गईं ।
मलिनता सारी हृदय की 
    आंसुओं से 
      धुल गई ।
एक नई भाषा 
    बना ली, 
तन के शीतल ताप ने।

शब्द को मिलती गईं 
    नव-अर्थ की 
       ऊँचाइयाँ ।
भाव पुष्पित हो गए 
   मिटने लगीं 
     तनहाइयाँ।
गीत में स्वर 
     भर दिए हैं- 
प्यार के आलाप ने -
  मन पखेरु उड़ चला फिर, 
    आसमां को नापने ।। "मन पखेरू उड़ चला" काव्य संग्रह से एक कविता...
YourQuote Didi YourQuote Baba
मन पखेरु उड़ चला फिर
नेह की 
  नजरों से मुझको 
   ऐसे देखा आपने।
मन-पखेरु उड़ चला फिर 
    आसमां को नापने।

कामना का बांध टूटा- 
   ग्रंथियां भी 
     खुल गईं ।
मलिनता सारी हृदय की 
    आंसुओं से 
      धुल गई ।
एक नई भाषा 
    बना ली, 
तन के शीतल ताप ने।

शब्द को मिलती गईं 
    नव-अर्थ की 
       ऊँचाइयाँ ।
भाव पुष्पित हो गए 
   मिटने लगीं 
     तनहाइयाँ।
गीत में स्वर 
     भर दिए हैं- 
प्यार के आलाप ने -
  मन पखेरु उड़ चला फिर, 
    आसमां को नापने ।। "मन पखेरू उड़ चला" काव्य संग्रह से एक कविता...
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