मन पखेरु उड़ चला फिर नेह की नजरों से मुझको ऐसे देखा आपने। मन-पखेरु उड़ चला फिर आसमां को नापने। कामना का बांध टूटा- ग्रंथियां भी खुल गईं । मलिनता सारी हृदय की आंसुओं से धुल गई । एक नई भाषा बना ली, तन के शीतल ताप ने। शब्द को मिलती गईं नव-अर्थ की ऊँचाइयाँ । भाव पुष्पित हो गए मिटने लगीं तनहाइयाँ। गीत में स्वर भर दिए हैं- प्यार के आलाप ने - मन पखेरु उड़ चला फिर, आसमां को नापने ।। "मन पखेरू उड़ चला" काव्य संग्रह से एक कविता... YourQuote Didi YourQuote Baba