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औरत एक बेटी ,एक संगनी,एक मां ,एक दोस्त एक शिक्षक न

औरत एक बेटी ,एक संगनी,एक मां ,एक दोस्त
एक शिक्षक न जाने कितने रूप है,
वो जब बेटी होती अपने मन का जीवन जीती पर जब वो 
किसी की अर्धांगिनी बनती तो उस पर कई जिम्मेदारियां
आ जाती जिसे वो बड़ी ही सहनशीलता से निभाती है।
और जब वही एक मां का रूप ले लेती है तो मानो उसका 
बचपन फिर से लौट आता,,अपने बच्चो के साथ वो खेलती 
भी है, पढ़ती भी,गुस्सा भी होती और मुस्कुराती भी,,
औरत भगवान का बनाया वो तोफा हैं जो हर रंग में रंग जाता,वो प्यार है,परवाह है,कभी नफरत तो कभी खामोशी भी, सुबह से रात तक चलना ही है कहीं नही ठहरना।
एक दिन निकलता तो फिक्र दूसरे दिन,ऐसी ही है एक औरत की दस्ता...
"औरत मोहताज नहीं किसी गुलाब की
वो खुद ही बागबान है इस कायनात की"

©Mamta Rastogi #Happy international women's day to all gorgeous women...
औरत एक बेटी ,एक संगनी,एक मां ,एक दोस्त
एक शिक्षक न जाने कितने रूप है,
वो जब बेटी होती अपने मन का जीवन जीती पर जब वो 
किसी की अर्धांगिनी बनती तो उस पर कई जिम्मेदारियां
आ जाती जिसे वो बड़ी ही सहनशीलता से निभाती है।
और जब वही एक मां का रूप ले लेती है तो मानो उसका 
बचपन फिर से लौट आता,,अपने बच्चो के साथ वो खेलती 
भी है, पढ़ती भी,गुस्सा भी होती और मुस्कुराती भी,,
औरत भगवान का बनाया वो तोफा हैं जो हर रंग में रंग जाता,वो प्यार है,परवाह है,कभी नफरत तो कभी खामोशी भी, सुबह से रात तक चलना ही है कहीं नही ठहरना।
एक दिन निकलता तो फिक्र दूसरे दिन,ऐसी ही है एक औरत की दस्ता...
"औरत मोहताज नहीं किसी गुलाब की
वो खुद ही बागबान है इस कायनात की"

©Mamta Rastogi #Happy international women's day to all gorgeous women...