वो मस्तमौला सदा मस्त रहता था, अपनी ही धुन में,खोया रहता था। आजादी चाहिए थी उसे अपने सपनों के लिए, खुद के अलावा किसी की परवाह न करता था। झूमता रहता खुशी से,दोस्तों संग घूमता था। परिवार वालों की न फ़िक्र थी उसे न कमाने का कोई ज़रिया था। उसकी ये बेफ़िक्री तब टूटी जब साथ उसका निठल्लों से छूटा था। होश में आकर भी खामोश सा,अपनी बेवकूफ़ी पे वो रहता था।। यह COLLAB के लिए खुला है।✨💫 अपने सुसज्जित विचारों व शब्दों के साथ इस पृष्ठभूमि को सजायेंl✒️✒️ • PROFOUND WRITERS द्वारा दी गई इस चुनौती को पूरा करें। 💎 • अपने दिल की भावनाओं को शब्दों में पिरोकर इस अद्भुत पृष्ठभूमि की सुंदरता बढ़ाएं।