जाडे का मौसम ---------------- (कविता) -:भारतका एक ब्राह्मण. संजय कुमार मिश्र 'अणु' ------------------------------------------------ बीतते हीं देखो- बरसात का मौसम। आ गया देखो- अब जाडे का मौसम।। कलतक थे बरसते मेघ, थी साथ में हवा बिजली। डरते थे हर जीव- न जाने कब किसकी जां निकली। रहते थे सभीत साधे दम।। आब आसमान भी साफ है- बिल्कुल साफ नदी की धारा। सूरज की किरणें भी अब- लगने लगा है प्यारा। और दिख रही है छटा अनुपम।। -------------------------------------------------- वलिदाद अरवल (बिहार) ©संजय जाड़े का मौसम