आगे बढूँ, आगे बढूँ मै खुद से ही आगे बढूँ मैं। गिरता रहू, गिरता रहू, मुसीबत के पहाड़ों को चढ़ूँ मैं।। जाना किधर,मैं गया कहाँ पाना था क्या,पाया मैं क्या। हिम्मत मैं हारूँ, कायर नही, जो भी मिला, वो कम है क्या।। रास्ते कीचड़ में भी अनगिनत बढूँ मैं, मुसीबत के पहाड़ों को चढ़ूँ मैं।। तू रोक ना मुझको, जाना है,मै चला जाऊंगा। अवरोध चाहे कितने आये, पानी सा मैं बह जाऊंगा।। धार के विपरीत जाकर नौका चढ़ूँ मैं, मुसीबत के पहाड़ों को चढ़ूँ मैं।। जीत कर आऊँगा मैं, वादा ये मेरा मुझसे है। प्रणाम कर मैं शांत करू, बहती नदी जो गुस्से में है।। सर के सरोवर में कमल सा खिलू मैं, मुसीबत के पहाड़ों को चढ़ूँ मैं।। मुसीबत के पहाड़ों को चढ़ूँ मैं।। #शुभम #motivation #InspireThroughWriting