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Text ४० : यदि मैंने पुण्यकर्म, यज्ञ, दान, अनुष्ठान

Text ४० : यदि मैंने पुण्यकर्म, यज्ञ, दान, अनुष्ठान व्रत के साथ-साथ देवताओं, ब्राह्मणों तथा गुरुओं की पूजा द्वारा पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् की पर्याप्त रूप से उपासना की हो तो हे गदाग्रज! आप आकर मेरा हाथ ग्रहण करें और दमघोष का पुत्र या कोई अन्य ग्रहण न करने पाए।

Text ४१: हे अजित ! कल जब मेरा विवाहोत्सव प्रारम्भ हो, तो आप विदर्भ में अपनी सेना के नायकों से घिरकर गुप्त रूप से आएँ । तत्पश्चात् चैद्य तथा मगधेन्द्र की सेनाओं को कुचलकर अपने पराक्रम से मुझे जीतकर राक्षस- विधि से मेरे साथ विवाह कर लें।

-- [ श्रीमद् भागवतम् - १०.५२.३८-३९-४०-४१, अनुवाद, श्रील प्रभुपादः ]

©Krishnadasi Sanatani
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