'केतली' अज़ीज़ सबको मानती, चाय सबकी छानती, दिल हमारा ले चली, लाजवाब केतली। मनचली सी केतली, असलियत पता चली चाय से भरी पड़ी, पहले आग में जली। आज तुमने हे 'रवि', रूप ये दिखा दिया केतली को देखने का, नज़रिया नया दिया। आज तक तो पूछ थी, चाय और चाय की आज तुमने हम सभी को ज़ायका दिया नया, रंग लाख खोल के, कैनवास दिखा दिया। चाय में यों घोल दी, एक मिठास सरसरी हमने आत्मसात की अजनबी सी केतली। #NaveenMahajan Credit: Ravindra Sir ketli #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi