#अधुरी ख्वाहिशें# कमबख्त गरीबी और महंगाई ने हमें कंगाल बना के रखा वरना ताजमहल बनाने की ख्वाहिश तो हम भी रखते हैं प्रतिदिन के सामाजिक भेदभाव भरे तानों ने हमें दब्बू बना दिया वरना खुले बाजार प्यार-ए-इजहार हम भी कर सकते हैं मां-बाप की कड़ी मेहनत से रोटी का गुजारा मुश्किल से होता था वरना डे बोर्डिंग स्कूल में हम भी पढ़ सकते हैं अभावों भरी जिंदगी ने अवसरों की असमानता ने हमें कुछ बनने ना दिया वरना कोई कवि गीतकार क्रिकेटर या एक्टर हम भी बन सकते हैं जात पात ऊंच नीच के कारण अनेक को कुवचनों से जिल्लत किया गया हमें वरना इंसान होने के नाते सम्मान पाने की चाहत हम भी रखते हैं और काबिलियत नहीं है आप में ऐसा कह कर हमें वंचित रखा जाता रहा वरना देश पर शासन करने की ताकत हम भी रखते हैं ©Vijay Vidrohi #अधुरीख्वाहिशें# pooja