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एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सि

एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सितंबर था।

ख़ता कुछ भी न कि थी मैंने ,
ख़ता कुछ भी न कि थी मैंने , 

बस अपनी औक़ात के बाहर जाकर ,
अपनी feelings बताई थी मैंने ।

वो शाम याद रहेगा मुझे ता-उम्र भर के लिए
रोया था मैं बहुत ,बहुत गिड़गिड़ाया था मैं 

कम से कम दोस्ती का वास्ता दिया था 
पर कुछ काम न आया , सब फिज़ूल हो गया था 

बस उसका जाना बाकी रह गया था।।
एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सितंबर था।। #gif #2nd_Of_SEPTEMBER_2018
एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सितंबर था।

ख़ता कुछ भी न कि थी मैंने ,
ख़ता कुछ भी न कि थी मैंने , 

बस अपनी औक़ात के बाहर जाकर ,
अपनी feelings बताई थी मैंने ।

वो शाम याद रहेगा मुझे ता-उम्र भर के लिए
रोया था मैं बहुत ,बहुत गिड़गिड़ाया था मैं 

कम से कम दोस्ती का वास्ता दिया था 
पर कुछ काम न आया , सब फिज़ूल हो गया था 

बस उसका जाना बाकी रह गया था।।
एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सितंबर था।। #gif #2nd_Of_SEPTEMBER_2018
ankeshkumar5010

ANKESH KUMAR

New Creator