एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सितंबर था। ख़ता कुछ भी न कि थी मैंने , ख़ता कुछ भी न कि थी मैंने , बस अपनी औक़ात के बाहर जाकर , अपनी feelings बताई थी मैंने । वो शाम याद रहेगा मुझे ता-उम्र भर के लिए रोया था मैं बहुत ,बहुत गिड़गिड़ाया था मैं कम से कम दोस्ती का वास्ता दिया था पर कुछ काम न आया , सब फिज़ूल हो गया था बस उसका जाना बाकी रह गया था।। एक हसीन शाम का मंजर था , क्या बताये दोस्तो वो 2 सितंबर था।। #gif #2nd_Of_SEPTEMBER_2018