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खोज बड़ा अजीब इतिफाक रहा में मुझ से अब तक नहीं मिल

खोज
बड़ा अजीब इतिफाक रहा
में मुझ से अब तक नहीं मिला
ऑरो पर लूटा कर अपनी ख़ुशी
उनकी ख़ुशी पर मिटता रहा ।
अपने वजूद को भुला कर 
अपने ही  वजूद को तरसता रहा।
वाकिफ था में जमाने से 
फिर भी सरे आम  लूटता रहा
मेरी मुझ से ही मुलाकात को में
 यू नजरअंदाज करता रहा
एक में ही हूं
जिस से अब तक नहीं मिला।
written by
Sunita Nimish Singh खोज
written by
Sunita Nimish Singh
खोज
बड़ा अजीब इतिफाक रहा
में मुझ से अब तक नहीं मिला
ऑरो पर लूटा कर अपनी ख़ुशी
उनकी ख़ुशी पर मिटता रहा ।
अपने वजूद को भुला कर 
अपने ही  वजूद को तरसता रहा।
वाकिफ था में जमाने से 
फिर भी सरे आम  लूटता रहा
मेरी मुझ से ही मुलाकात को में
 यू नजरअंदाज करता रहा
एक में ही हूं
जिस से अब तक नहीं मिला।
written by
Sunita Nimish Singh खोज
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Sunita Nimish Singh