आखिर एक दिन समझ और अनुभवों में विश्वास दिलाने वाले संस्कारों को धकेलते हुए ,उसने कह ही दिया। यह जो मेरे पल हैं ना , अपनी तरह से जीऊँगी इन्हे मै। और क्या पता ,लोगों के पुराने अनुभवों से मेरा इत्तेफाक हो ना हो। https://supriyasingh57.blogspot.com/2019/02/blog-post_3.html manmarziyan 🕊