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"भूतों से डर" शाम का समय था, और सुनहरी रौशनी से


"भूतों से डर"

शाम का समय था, और सुनहरी रौशनी से घिरी शहर शांत था। रोज़ की तरह, मैं अपने घर में बैठ कर काम कर रहा था। मेरी पेन थिरकती थी और कीबोर्ड क्लिक करते हुए मेरे सिर के ऊपर से जाते थे। थोड़ी देर बाद, मैं थक गया था और अपनी सीट से उठ कर फर्श पर बैठ गया।

उस समय मेरे दिमाग में कुछ अजीब सा सोच आ रहा था। मैंने यह सोचा कि क्या सच में भूत-प्रेत होते हैं? क्या यह सम्भव है कि कोई आत्मा हमारी दुनिया में फिर से आ जाए? मेरा दिमाग इन सभी सवालों से भरा हुआ था।

चारों तरफ शांति थी, और मैं अपनी सीट से उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया। जब मैं बाथरूम में था, तभी एक विचित्र स्थिति देखने को मिली। आधे उतरे हुए स्वर्ग नीले रंग की दुनिया के बारे में सोचते हुए, मैं एक झोंक महसूस करने लगा। मेरे जिस्म के कुछ हिस्से ठंडे होने लगे थे। मैंने तुरंत अपना सिर उठाया और अपनी दोनों आँखों से एक शव देखा।

शव जमा ह 
मैंने शव को देखते ही चीख निकली और उससे दूर भागने लगा। मैंने धीरे-धीरे अपनी सांस रोकी और अपने आप को संयमित करने की कोशिश की। मैंने दोबारा शव की तरफ देखा, लेकिन वहां कुछ नहीं था। मैं उस घटना के बारे में असहमत था और उसके बारे में सोचता रह गया।

मुझे बिल्कुल भी नहीं पता था कि क्या हो रहा है, लेकिन मैं डर गया था। मेरा दिल बेतहाशा धड़क रहा था, और मैं अपने आसपास देख रहा था कि कहीं कोई और तो नहीं है।

मैंने धीरे-धीरे दुबारा अपनी सांस छोड़ी और बैठने के लिए एक कुर्सी पर जाकर आराम किया। मैं खुद को यह समझाने की कोशिश कर रहा था कि यह सब बस मेरे दिमाग की देहलीज पर चल रहा है, लेकिन मेरी राय कुछ भी नहीं बदली। मेरे मन में उमंग उठी कि मैं यहां से निकल जाऊं, लेकिन वह अजीब घटना मेरे मन में बसी रही।

कुछ ही देर बाद, रात की आँधी आ गई। बाहर से हवा झंझोर रही थी और घर की खिड़कियां

मेरे दिमाग में यह सब बड़ी तेजी से घुम रहा था। मैं चाहता था कि यह सब कुछ खत्म हो जाए और सब कुछ ठीक हो जाए। मैंने दुबारा शव की तरफ देखा और इस बार मैंने देखा कि उसकी आँखें खुल गई हैं। मैं डर गया था और मेरे शरीर में तनाव का एहसास हुआ।

उसकी आँखें मुझसे घूर रही थीं, जैसे कि वह मुझे कुछ बताना चाहता था। मैंने शव की तरफ जाकर उससे पूछा, "तुम कौन हो?" लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

अचानक मेरी नजर एक छत्ते पर पड़ी, जिस पर कुछ लिखा था। मैंने धीरे से आगे बढ़ते हुए उसे पढ़ा। वह छत्ता था, "यहाँ से भागो, यहाँ कुछ भी नहीं है।" मैं भयभीत हो गया था लेकिन मेरा दिमाग मुझसे यह कह रहा था कि मैं उस शव से कुछ नहीं पूछ सकता।

मैंने उठते हुए शव को छोड़ा और बाहर निकलने का फैसला किया। मैं बाहर निकलते हुए लगातार भागने लगा। मैं चाहता था कि इस सब से जल्दी बाहर निकलूं और घर के 

 मैं अपने दोस्तों के साथ वहां से निकल गया। उस रात के बाद से मैं खुले आसमान तले किसी भी साये से डरने लग गया था। लेकिन मैंने अपने दिमाग को समझाया कि यह सब मेरी कल्पना थी। मैं जानता था कि यह सब वास्तविक नहीं था और मेरे साथ कुछ नहीं होने वाला था।

इस घटना के बाद से मैं दुनिया को एक नया रूप देखता हूं। मैं सायों या भूतों के बारे में सोचने लगता हूं, लेकिन मुझे पता होता है कि ये सब कुछ मेरे दिमाग में हो रहा है। मुझे यह भी पता है कि जीवन की यह एक घटना मुझे दूसरों से कुछ सीखने के लिए सिखाती है।

इसलिए, यदि आपके दिमाग में कोई भयानक विचार हैं, तो उन्हें स्वीकार करें और उनसे निपटने का तरीका ढूंढें। आपकी जिंदगी में इस तरह के विचार जरूर आएंगे, लेकिन उनसे निपटने की कला सीखना आपके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा

©Husain Parkar
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