नहीं है प्रीत बस राह के राहगीर हैं मैं तो कविता का फकीर हूं झोला चिमटा और चिंतन तेरा लिए भली हवा लगे मूंह के अंगार तुझे लगते हैं देख तो सही राह के कांटे हटा रहा हूं जो है आग में झोंका ये पानी सा ढूंढता हूं मेरा मौला तो सिर्फ एक ही है, मैं बस कांटों को ही फूल बनाता हूं । अजनबी संग प्रीत... #अजनबीसंगप्रीत #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi