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पता नहीं कितनी रिक्तता थी- जो भी मुझमें होकर गुज़र

पता नहीं कितनी रिक्तता थी-
जो भी मुझमें होकर गुज़रा -रीत गया 
पता नहीं कितना अन्धकार था मुझमें 
मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में 
बीत गया

©Deepak
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