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हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे तुझ से बिछड़ें

हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे
तुझ से बिछड़ेंगे तो किस हाल में घर (khuda) जाएँगे

हम हैं हस्सास बहुत हम को बचा कर रखना
फिर न सिमटेंगे जो इक बार बिखर जाएँगे

"राम नाथ असीर"

©Sunayana Verma 
#Love #ishq "राम नाथ असीर" ki kalam se likhi ye nazam mere dil ka haal bayan karti hai.ye ishq uffff
हम तो दिन-रात इसी सोच में मर जाएँगे
तुझ से बिछड़ेंगे तो किस हाल में घर (khuda) जाएँगे

हम हैं हस्सास बहुत हम को बचा कर रखना
फिर न सिमटेंगे जो इक बार बिखर जाएँगे

"राम नाथ असीर"

©Sunayana Verma 
#Love #ishq "राम नाथ असीर" ki kalam se likhi ye nazam mere dil ka haal bayan karti hai.ye ishq uffff