हुनर को दफ़्न भी कर दूं, मगर ये हालात कहाँ जाएंगे। बे मुरौव्वत, संगदिल ज़ालिम कमीने, इतने गहरे ये ज़ज्बात कहाँ जाएंगे sumit upadhyay #हालात