गेरो की रंजिसो में गुमनाम बैठे है , अपनो से दूर हम बेनाम बैठे है, जीत की बातें तो नाम की है सब हमारी हार के तलबदार बैठे है। इन लहरो में भीगा हु में पूरी साल तो मै कैसे इनमे डूब जाऊ। ऐ जीन्दगी में कैसे हार जाऊ me haar nhi skta