कुछ सोचकर हम चुप रहे कहना तो बहुत कुछ चाहा लेकिन... "दूरियों की दूरी" भाँपकर मौन रहे अतीत के गर्त में समा गया वो वक्त जब सुनने को हमें "वो" खड़े रहे भाव विकल थे "तब" भी शब्द बनने को वाणी छटपटा रही है "अब" भी प्रकट होने को लेकिन तब भी कुछ सोचकर चुप रहे अब भी कुछ सोचकर चुप रहे...! मुनेश शर्मा (मेरे❤️✍️) ऐसा नहीं कि हमें बोलना नहीं आता। बस कुछ सोचकर, बोले नहीं। #कुछसोचकर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi