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पेड़ की जली हुई लकड़ी राख बनती है, राख चाह कर भी लक

पेड़ की जली हुई लकड़ी राख बनती है,
 राख चाह कर भी लकड़ी नहीं बनती पर
 हां पेड़ के लिये कवच (फंगस संरक्षक) का काम जरूर करती है ।
उसी तरह व्यक्ति का बिता हुआ समय लौट कर नहीं आता,
 त्रुटियों पर पश्चाताप व्यर्थ है ।
लेकिन आगे के जीवन में त्रुटियों से बचाव हेतु भार्गदर्शक अवश्य बन जाता है ।

#निशीथ

©Nisheeth pandey पेड़ की जली हुई लकड़ी राख बनती है,
 राख चाह कर भी लकड़ी नहीं बनती पर
 हां पेड़ के लिये कवच (फंगस संरक्षक) का काम जरूर करती है ।
उसी तरह व्यक्ति का बिता हुआ समय लौट कर नहीं आता,
 त्रुटियों पर पश्चाताप व्यर्थ है ।
लेकिन आगे के जीवन में त्रुटियों से बचाव हेतु भार्गदर्शक अवश्य बन जाता है ।

#निशीथ
पेड़ की जली हुई लकड़ी राख बनती है,
 राख चाह कर भी लकड़ी नहीं बनती पर
 हां पेड़ के लिये कवच (फंगस संरक्षक) का काम जरूर करती है ।
उसी तरह व्यक्ति का बिता हुआ समय लौट कर नहीं आता,
 त्रुटियों पर पश्चाताप व्यर्थ है ।
लेकिन आगे के जीवन में त्रुटियों से बचाव हेतु भार्गदर्शक अवश्य बन जाता है ।

#निशीथ

©Nisheeth pandey पेड़ की जली हुई लकड़ी राख बनती है,
 राख चाह कर भी लकड़ी नहीं बनती पर
 हां पेड़ के लिये कवच (फंगस संरक्षक) का काम जरूर करती है ।
उसी तरह व्यक्ति का बिता हुआ समय लौट कर नहीं आता,
 त्रुटियों पर पश्चाताप व्यर्थ है ।
लेकिन आगे के जीवन में त्रुटियों से बचाव हेतु भार्गदर्शक अवश्य बन जाता है ।

#निशीथ