संध्या ने आंचल ओढे, मुझपे कुछ कहने आई। रात को आते देख मेरे गोद में छिपाने आई।। अलसाई-लहराई-घबराई-शरमाई। बाँहों में कुछ ऐसे लिपटी,जैसे सारा जहाँ मुझमे पाई।। और मेरी आँखें उसके लब्ज़ों से हठ ही ना पाई। संध्या ने आंचल ओढे, मुझपे कुछ कहने आई। रात को आते देख मेरे गोद में छिपाने आई।। ©Prabodh Raj #hindi #poetry #love #fantasy #evening #nojoto