ये पत्र उन 'रिश्तों के नाम',
जिन्हें मैं कोई नाम न दे पाया,
या जिन्होंने कोई नाम ना स्वीकारा...
कुछ रिश्तें जुगनुओं जैसे होते हैं,
जो सूनी-अंधेरी राहों में ही दिखते हैं,
जैसे ही उजाला होता है,
कही गुम हो जाते हैं...
उन 'रिश्तों के नाम' #Music#poem#भृगुऋषि