वो कागज की नन्ही कश्ती को पानी में यूं तैराना, वो आंगन में नंगे पैरों छप-छप-छप करके इतराना, सब बचपन की परछाई है,देखो फिर बारिश आयी है।। -Riddhi Awasthi #barish #barishlove