राहों से है यारी अपनी मंज़िल जाने राम कहां, छोड़ दिया घर की चौखट अब दुनिया की परवाह कहां, रिश्ते-नाते, बंधन-धागे, अब इनसे कोई आस कहां, छोड़ दिया घर की चौखट अब दुनिया की परवाह कहां, ©MK Zakhmi छोड़ दिया घर की चौखट अब दुनिया को परवाह कहां...