"गलतफैमी में हम थे की वह भी वही सोचता है जो हम सोचते है,वही चाहता है जो हम चाहते हैं,वही मेहशूस करता है जो हम करते हैं, उतना ही चाहता है जितना कि हम चाहते है, उतना ही समझता है जितना की हम समझते है,उतना ही प्यार करता है जितना हम करते है, मगर गलतफैमी की ये महल तब टूटने लगा जब वह धीरे धीरे यह ऐहसा कराने लगा की अपने दिलों की होली में अब वह रंग नहीं रही यानी की वह रंग अब धूल गया है जो हमने रंगो कि होली में एक दूसरे को लगाया था....!!" ©Anita Yadav #galatfahmi