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अर्ज़ है.... छुप सके आज ज़ख़्म मेरा, ऐसा कोई हिज़

अर्ज़ है....

छुप सके आज ज़ख़्म मेरा, ऐसा कोई हिज़ाब दे दो दर्द-ओ-अलम का मेरे, कोई मुख्तलिफ़ हिसाब दे दो

उदासी की चादर ओढ़कर, सुकून की नींद सो सके ज़र्द-ए-जिस्म पर मेरा, ऐसा कोई शफ़्फ़ाक लिबास दे दो..!!

©Kanchan Agrahari
  #UskeHaath  Anshu writer  @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09  Neelam Modanwal ..  - @Hardik Mahajan  sushil dwivedi