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कुछ कर गुजरने की चाहत लिए बैठा हूं, कितने अपनों से

कुछ कर गुजरने की चाहत लिए बैठा हूं,
कितने अपनों से दूरी बना बैठा हूं,
पता नहीं मंज़िल कहां है मेरी,
हर मोड़ पर नई राह बना बैठा हूं।।। #Kis mod par #
कुछ कर गुजरने की चाहत लिए बैठा हूं,
कितने अपनों से दूरी बना बैठा हूं,
पता नहीं मंज़िल कहां है मेरी,
हर मोड़ पर नई राह बना बैठा हूं।।। #Kis mod par #