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पनघट सूना, हर तट सूना लौट गई प्यास, उलटे पांव रे प

पनघट सूना, हर तट सूना
लौट गई प्यास, उलटे पांव रे
पत्थर की तपती इमारते हैं
खो गये कही मिट्टी के गांव रे ,,.

प्रकृति का क्रंदन कर अनसुना
विजय होता स्वार्थी मनु भाव रे
नीम, पीपल का इनाम, कुदाली
वाह मनी प्लांट का चाव रे........

आँगन बिछडे नुमाइश के मेले में 
मिट्टी में शेष जड़ों के कितने घाव रे
आम, बरगद अब नही दुलारने को
महंगी हो गई बहुत छांव रें.........

मेघ भी राह भटक गये
बूंद भूल गई बहाव रे
बरखा  की लुका छिपी से
हताश है कई कागज की नाव रे...... 
पत्थर की तपती इमारते हैं
खो गये कही मिट्टी के गांव रे ,,......
#लोकेंद्र_की_कलम_से ✍️

©Lokendra Thakur #WorldEnvironmentDay 
#लोकेंद्र_की_कलम_से
पनघट सूना, हर तट सूना
लौट गई प्यास, उलटे पांव रे
पत्थर की तपती इमारते हैं
खो गये कही मिट्टी के गांव रे ,,.

प्रकृति का क्रंदन कर अनसुना
विजय होता स्वार्थी मनु भाव रे
नीम, पीपल का इनाम, कुदाली
वाह मनी प्लांट का चाव रे........

आँगन बिछडे नुमाइश के मेले में 
मिट्टी में शेष जड़ों के कितने घाव रे
आम, बरगद अब नही दुलारने को
महंगी हो गई बहुत छांव रें.........

मेघ भी राह भटक गये
बूंद भूल गई बहाव रे
बरखा  की लुका छिपी से
हताश है कई कागज की नाव रे...... 
पत्थर की तपती इमारते हैं
खो गये कही मिट्टी के गांव रे ,,......
#लोकेंद्र_की_कलम_से ✍️

©Lokendra Thakur #WorldEnvironmentDay 
#लोकेंद्र_की_कलम_से