अब इस अधूरी कहानी को पूर्णता तक बहना है, संशयों की छाया से निकल, अपने प्रारब्ध को कहना है। यह ठहराव नहीं, बस एक संधि का क्षण है, जो अधूरा था, उसे पूरा कर, नया सवेरा सृजन है। अतीत चाहे स्वप्न-सा मनोहर ही क्यों न हो, वर्तमान की अग्नि में उसे अर्पित करना होगा, तभी भविष्य मधुर राग बनकर गूंजेगा, और नवयुग की भोर में एक नया सूरज खिलेगा। ©Ishant Jaiswal #DawnSun