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छम से जो छनके वो पायल की झनकार हो तुम जिस दिल को छ

छम से जो छनके
वो पायल की झनकार हो तुम
जिस दिल को छू जाती हो
उस दिल की तलबगार हो तुम...





( कृपया अनुशीर्षक भी पढ़े ) छम से जो छनके
वो पायल की झनकार हो तुम
जिस दिल को छू जाती हो
उस दिल की तलबगार हो तुम ।

सुबह की लालिमा लिए 
जैसे सुरज उतर आता है जल में 
वैसे ही तेरी ललित छवि
छम से जो छनके
वो पायल की झनकार हो तुम
जिस दिल को छू जाती हो
उस दिल की तलबगार हो तुम...





( कृपया अनुशीर्षक भी पढ़े ) छम से जो छनके
वो पायल की झनकार हो तुम
जिस दिल को छू जाती हो
उस दिल की तलबगार हो तुम ।

सुबह की लालिमा लिए 
जैसे सुरज उतर आता है जल में 
वैसे ही तेरी ललित छवि