छम से जो छनके वो पायल की झनकार हो तुम जिस दिल को छू जाती हो उस दिल की तलबगार हो तुम... ( कृपया अनुशीर्षक भी पढ़े ) छम से जो छनके वो पायल की झनकार हो तुम जिस दिल को छू जाती हो उस दिल की तलबगार हो तुम । सुबह की लालिमा लिए जैसे सुरज उतर आता है जल में वैसे ही तेरी ललित छवि