क्यों सुख सुविधाओं को त्याग कर अब वो पहाड़ लौटकर आता है.. ये शहरों से निकलता कारवां बहुत कुछ बताता है। त्यागकर अपनी जन्मभूमि को वो रुख शहरों का करते थे कभी चकाचौंध में खो जाते तो कभी ज़हरीली हवाओं से लडते थे आज सभी को मौत का ये कैसा भयावह डर सताता है.. ये शहरों से लौटता कारवां बहुत कुछ बताता है। कभी हुआ करती थी जहां रौनकें घरों में ... गांव की जिन गलियों में बस कच्चे मकान बांकी थे इक ज़माने में गुज़रे थे जो लोग वहां से वो शहरों को जाते कदमों के निशान बांकी थे.... आज मुसीबत पडने पर मां का आंचल सुहाता है ये शहरों से निकलता कारवां बहुत कुछ बताता है। Sehro se nikalta kaarva bhut kuch btata hai.....