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मै एहसासो सा नायाब हुँ, मै इक नई पहचान हुँ मै हुँ

मै एहसासो सा नायाब हुँ, मै इक नई पहचान हुँ
मै हुँ जो है पंख लिए, मै ख्वाहिशों की उड़ान हुँ
मै हु विफलताओं से भरा, मै फिर भी इक गुमान हुँ
इस विशाल से कायनात में, मै तिनके के समान हुँ
सकेरों की भीड़ में, मै कहीं गुमनाम हुँ
मेरी जिंदगी के किताब मे, मै खुद की ही पहचान हुँ
मै हू खूबियों से भरा, पर कुछ खामियां मुझमे भी है
मैंने ठोकरों से है ली सबक, पर नादानियां मुझमे भी है
मै हुँ वफा और दर्द भी, मैं भोर हुँ खुदगर्ज़ भी
मै रास्तों का हुँ इक सबक, मै कोहिनूर सा नायाब हुँ
जो रूह मे समा सकूँ, मै उस वफा का  जवाब हुँ
मालूम नही हुँ कौन मै, मै खुद मे ही लाजवाब हुँ
जो पढ़ सको तो पढ़ो मुझे, मै एक खुली किताब हुँ

©MD Shahadat
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