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सुबह धूप की मासूमियत जब गलबाहें डालती है। तो खिड़क

सुबह धूप की मासूमियत
जब गलबाहें डालती है।
तो खिड़कियों के पार,
हंसती हुई फूलों की डाली
भेजती है
 खुशबुओं का तोहफा
चाय की चुस्कियां के साथ
फिर एक ताजगी
नस नस में जाग जाती है।

©Abhilasha Dixit एक नई ताजगी
सुबह धूप की मासूमियत
जब गलबाहें डालती है।
तो खिड़कियों के पार,
हंसती हुई फूलों की डाली
भेजती है
 खुशबुओं का तोहफा
चाय की चुस्कियां के साथ
फिर एक ताजगी
नस नस में जाग जाती है।

©Abhilasha Dixit एक नई ताजगी

एक नई ताजगी