सुबह धूप की मासूमियत जब गलबाहें डालती है। तो खिड़कियों के पार, हंसती हुई फूलों की डाली भेजती है खुशबुओं का तोहफा चाय की चुस्कियां के साथ फिर एक ताजगी नस नस में जाग जाती है। ©Abhilasha Dixit एक नई ताजगी