तेरे दिए ज़ख्मों पर मरहम कुछ इस तरह लगाऊंगा इतना बदलूंगा खुद को की तुझे नजर भी नहीं आऊंगा तू बनाती रहना दिन,सजाती रहना रातें रकीब की बेशक उसकी बाहों में होने पर हर वक़्त तुझे याद बेहिसाब आऊंगा । ©Govind Hersal #apart