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White थोड़े थोड़े पत्थर तोड़े, थोड़ा थोड़ा कमज़ोर

White थोड़े थोड़े पत्थर तोड़े, थोड़ा थोड़ा कमज़ोर बदन 
खूब जला है आज अधर ये, धधक रही है शुष्क पवन 
बड़े मज़े से मगन हुए मन, मंदा मंदा गाता है 
रोज़ी का सुन्दर सफ़र यह, शौक मेरे खा जाता है 
पानी पानी माटी माटी गूंथ गूंथ कर गढ़ता हूं 
जी से अपनी जान लगा कर रस्ते सारे गढ़ता हूं
फिर मिला पसीना जब देता हूं, जग वालों को आलिंगन 
गर्म धार को कर देता हूं, जग वालों का गंगा जल 
दो जून कमाने अंधड़ पानी सब का मान रखा जाता है 
मैले दर्पण में बूढ़ा चेहरा, कुछ यौवन भी दिखलाता है,
अपना अपना छोड़ घरों से वो रोज़ कहीं तो जाता है
रोज़ी का सुन्दर सफ़र यह, शौक मेरे खा जाता है।
छैनी, कन्नी और फावड़ा मीत मेरे अभिमान मेरे,
पकती दाढ़ी झुकते कंधे अनुभव का सम्मान मेरे,
हर कंकर को ठोक पीट कर, विकसित राष्ट्र बनाता है,
मजदूरी का सुन्दर सफ़र ये, शौक मेरे खा जाता है

©VINAYAK राधेय
  #safar#LABOURdAY