घूँघट में समाज ने जकड़ कर नारी को छुपाया अपनी मानसिक बीमारी को! लाज का घूँघट आँखों पर हो तो अच्छा पुरूष मर्यादा न लाँघे तभी हो सब अच्छा! जहाँ तक इज़्ज़त अदब लिहाज़ की बात है खानदानी संस्कारों में मिलती ये सौगात है क्या घूँघट से महफ़ूज़ हो जाती है जनानी पुरूष की नीयत ख़राब हो तो सब बेमानी। नारी भी जानती हर हुनर आती उसे तलवार चलानी याद है ना!सर पर क़फ़न बाँध ख़ूब लड़ी थी मर्दानी! मुख पर घूँघट हाथ में कँगन और पैरों में पायल सौंदर्य में चार चाँद लगाए कदापि न हो आत्मा घायल! ♥️ Challenge-751 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।