जो कभी लहलहाती उम्मीदों की फ़सल का आशियाना हुआ करता था। आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल होकर न शहर हुआ और न गाँव ही रह गया । भाई दूज गोधन पूजा दिवाली या हो होली का त्योहार । सब लोग मिलकर एक साथ मनाते थे कभी । आज गाँव तो क्या परिवार भी साथ नही मनाते । सबको लगता है विकास हुआ है । मुझे लगता है विनास हो गया । जिसे मैं रोक न पाया रोक न पाया। # 8 पंक्तियों की रचना कर प्रतियोगोता में भाग लें। #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #tmkosh 🏵️ Collab करने के बाद कमेंट में Done लिखें। 🏵️ कमेंट में Done लिखे लोगों की ही रचनाएँ प्रतियोगिता का हिस्सा होंगी। 🏵️ यह एक काव्य प्रतियोगिता है जिसमें कवियों को एक विषय दिया जायेगा जिससे सम्बंधित नियम उस विषय के caption में रहेगा। 🏵️ नियम के अनुसार कवियों को रचनाएँ करनी होगी । 🏵️ प्रतिदिन एक रचना को विजयी घोषित किया जायेगा तथा काव्य कोश की टीम यदि दो रचनाओं में विभेद नहीं कर पाती है तो दोनों रचनाओं को सामान रूप से विजयी घोषित किया जायेगा।