हे कृष्ण ! जब मेरे मन के घोड़े हार थक कर लौट आते हैं मुझे तुम याद आते हो ! मैं यक्सर भूल जाता हूँ तुम्हें अपना वादा फ़िर भी तुम निभाते हो ! पर मुझे याद है मैं तो एक अदना सा नर हूँ तुम्हारे अंश का सौवां हिस्सा शायद भूल भी इसलिए कर जाता हूँ ! जब भी शरण तेरी गहा तो तुम झट से नारायण बन जाते हो ! 🤓#good night🤓 अब मार्ग दो मुझको विधाता मैं भी कमाई कुछ करूँ सन्मार्ग के पथ का पथिक बन ऋणमुक्त मैं भी हो सकूं ! जो भी त्रुटियां हो चुकी हैं अज्ञान या उन्माद में अब धर्म मर्यादा में चलकर