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क्यों एक मकान से हम संतुष्ट नहीं होते? एक गाड़ी से

क्यों एक मकान से हम संतुष्ट नहीं होते? एक गाड़ी से हमारा मन नहीं भरता। 50जोड़ी कपड़े भी हमें कम लगते हैं। प्राकृतिक और शुद्ध शाकाहारी भोजन हमें नहीं रूचता। हर वस्तु, हर क्रिया, हर बात का तो हमने व्यापार बना लिया है।
हम भारतीय और हिंदू होने की हुंकार भरते हैं पर क्या सचमुच हम में भारतीयता और हिंदुत्व सुरक्षित है?
हम भारतीयों की संस्कृति कब मांस- मदिरा पान की रही? मूलतः हम प्राकृतिक, सात्विक, अहिंसक जीवन जीने वाले ऋषियों की संतान हैं। क्या आज हम में इन तीनों तत्वों में से कुछ भी बचा है? प्रकृति से कितने दूर और कृत्रिमता से युक्त जीवन जीने में हमें बहुत गर्व होता है।सात्विकता और पवित्रता को हम मूर्खता या दकियानूसी विचार मानते हैं। अहिंसा तो न जाने कहां लुप्त हो गई है?
लोग पता नहीं क्यों मांसाहार की तरफ इतने आकर्षित है और इसे आधुनिकता का, स्वास्थ्य का पैमाना मानते हैं। कम से कम भारतीयों की तो ये प्रकृति और संस्कृति नहीं है। हमें इसे अपने जीवन से जल्द से जल्द निकालकर, भारतीय संस्कृति को अपनाना होगा। मांसाहार मानवीय नहीं, राक्षसी आहार है।

©Anjali Jain
  #GarajteBaadal भारतीय होने का प्रयास करें।21.06.23
anjupokharana7639

Anjali Jain

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#GarajteBaadal भारतीय होने का प्रयास करें।21.06.23 #विचार

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