कबीर की जात कान्हां का कल हूँ मैं, दर्द की किताब का एक ग़ज़ल हूँ मैं बेवजह बढ़ा रहे हो अपनी उलझन तुम, तुम्हारे उलझे सवालों का हल हूँ मैं ©Manish Yadav #happyjanmashtami